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Showing posts from July, 2017

महिलाओं के यौन रोग :-छोटी उम्र में रक्तस्राव

छोटी उम्र में रक्तस्राव परिचय: लगभग 9 से 10 साल की लड़कियां की योनि से प्रदर के बहने को लेकर होने वाली समस्या कम उम्र में योनिस्राव कहलाता है। लक्षण: योनि में खुजली होने पर थोड़ा-सा खुजलाने से योनि के मुख के छिल जाने पर योनि से कुछ चिकनापन-सा श्वेत पानी निकलने लगता है जिसे ज्यादातर स्त्रियां प्रदर समझ लेती हैं। चिकित्सा: 1. त्रिफला:  त्रिफला 30 ग्राम की मात्रा में लेकर जौ कूट करके 500 मिलीलीटर पानी में डालकर पकायें, जब आधे बचे पानी से योनि को धो लें। ध्यान रहे कि च्यवनप्राश के खाने के बाद ही इसका प्रयोग करें। 

महिलाओं के यौन रोग :-योनि में दर्द का घरेलु ईलाज

योनि दर्द कारण: योनि में दर्द कई कारणों से हो सकता है जैसे- चोट लगने से, सीढ़ियों से गिरने, गुसलखाने में फिसल जाने पर, काफी समय तक भीगे वस्त्रों में कपड़े धोने से, नवयुवतियां का नंगे पैर फर्श साफ करने से, नंगे पांव गीले पांव फर्श पर रसोईघर में काम करने से इसके अलावा कुछ अन्य कारण भी होते हैं, आंतरिक वस्त्र, तौलिया, फुंसियां होने पर, योनि के संकुचन होने पर, प्रसव (बच्चे के जन्म के बाद) सूतिका की बीमारी में जीवाणुओं के संक्रमण से, मासिक-धर्म के समय पर न होने पर, खुजलाते वक्त नाखून लग जाने पर योनि के भीतर की बहुत कोमल त्वचा में जख्म हो जाने से योनि में दर्द होने लगता है। विभिन्न औषधियों से उपचार- 1. माजूफल:  माजूफल को पानी में पीसकर रूई का फोहा बनाकर स्त्री की योनि में संभोग (सहवास) करने से पहले रख दें, इसके बाद संभोग करने से से योनि में दर्द नहीं होता है। नोट: इसका प्रयोग गर्भ को रोकने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। इसलिए सोच समझकर ही इस्तेमाल करें। 2. नीम: नीम की निम्बोली (बीज) और एरण्ड के बीजों का गूदा नीम के पत्तों को निचोड़कर प्राप्त हुए रस में पीसकर योनि में लगाने से योनि की पीड़ा शांत

महिलाओं के यौन रोग :- ढीली योनि को छोटी करना ,योनि का संकोचन

योनि का संकोचन परिचय: बढ़ती उम्र के अनुसार या बार-बार प्रसव (डिलीवरी) के कारण योनि की मांसपेशियों में शिथिलता आना स्वाभाविक ही है, जिससे भग (योनि) अपेक्षाकृत ढीले अनुभव होते हैं। ज्यादातर लोग गलत समझकर अपने दाम्पत्य जीवन को बिगाड़ देते हैं। इसलिए योनि संकोचन के बारे में ज्ञान होना जरूरी है। चिकित्सा: 1. बैंगन:  बैंगन को सुखाकर बारीक पीसकर योनि पर लगाने से योनि संकोचन होता है। 2. वीर बहूटी:  वीर बहूटी 5 ग्राम को लगभग 50 ग्राम देशी घी में मिलाकर योनि पर लगाने से लाभ मिलता है। 3. गूलर:  गूलर की गूदे (गूंद) को बारीक पीसकर कपड़े से छान लें, फिर इस पीसे चूर्ण को शहद में मिलाकर योनि पर लगाकर रख दें। अन्त में सूखने के बाद हल्के गर्म पानी से धोने से योनि संकुचित होती है। 4. आंवला: आंवला (आमले) की छाल को 20 ग्राम की मात्रा में लेकर मोटा-मोटा पीसकर लगभग 250 मिलीलीटर पानी में डालकर पकायें, जब पानी आधा बच जाये तब ठण्डा करके योनि पर लगाने से योनि की शिथिलता या ढीलापन दूर हो जाता है।आंवला (आमले) को पकाकर काढ़ा बनाकर रख लें। इस काढे़ को दही में मिलाकर योनि पर सुबह-शाम लगाने से लाभ मिलता है। 5. फिटकरी:  फि

महिलाओं के यौन रोग :- योनि की गांठ ,योनि में गांठ का होना

योनि की गांठ कारण: योनि कन्द नामक रोग कई कारणों से होता है। योनि में गांठ का रोग दिन में सोने से, अत्यन्त गुस्सा व परिश्रम, ज्यादा मैथुन करने से, नाखून, दांत आदि के कारण चोट-जख्म और वातादि रोग से प्रदूषित होकर योनि कन्द की बीमारी पैदा हो जाती है। लक्षण: योनिकन्द में बड़हल की भांति योनि में रुधिर (खून) की गांठें (गिल्टी) पैदा हो जाती हैं। यदि योनि कन्द में जलन हो, लाली हो, बुखार पैदा हो तो वह पित्त से उत्पन्न मानी जाती है। यदि योनिकन्द तिल के फूल के समान हो और उसमें खुजली होती हो तो उसे कफ से उत्पन्न माना जाता है। इसी प्रकार यदि योनि कन्द में तीनों (वात, पित्त और कफ) के लक्षण मिलते हो तो उसे त्रिदोष (वात, कफ और पित्त) से उत्पन्न माना जाता है। विभिन्न औषधियों से उपचार- 1. आंवला:  आंवले (आमले) की गुठली, बायविंडग, हल्दी, रसौत और कायफल को पीसकर चूर्ण बनाकर शहद में मिलाकर योनि में रख लें, फिर त्रिफले के काढ़े में शहद डालकर योनि को धोने से योनि कन्द की बीमारी समाप्त हो जाती है। 2. कायफल:  कायफल, आम की गुठली, गेरू और हल्दी को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। इस चूर्ण

महिलाओं के यौन रोग :- योनि की सूजन

योनि की सूजन परिचय: योनि (भग) की सूजन या शोथ को भग की सूजन या शोथ कहते हैं। चिकित्सा: 1. सूरजमुखी :  सूरजमुखी की जड़ को माण्ड में घिसकर लगाने से योनि की सूजन में आराम होता है। 2. एरण्ड : एरण्ड तेल में रूई का फोहा भिगोकर योनि में धारण करने से योनि का दर्द मिट जाता है।गर्भाशय की सूजन प्राय: प्रसव यानी डिलीवरी के बाद होती है। इसमें महिला को बहुत तेज बुखार होता है। ऐसी अवस्था में एरण्ड के पत्तों के रस में उम्दा शुद्ध रूई का फोहा भिगोकर योनि में रखने से आराम होता है।

महिलाओं के यौन रोग :- योनि (स्त्री जननांग) को छोटी करना

योनि (स्त्री जननांग) को छोटी करना परिचय: अधिक संभोग करने या अधिक संतानों के जन्म लेने से अथवा अन्य कारणों से योनि बड़ी हो जाती है। ऐसी स्थिति में उसे सिकोड़ने की चिकित्सा अवश्य ही करनी चाहिए। विभिन्न औषधियों से उपचार- 1. गेंदा:  गेंदा को जलाकर उसकी राख को योनि में रखकर मलना चाहिए। परन्तु ध्यान रखें कि उसे कपड़छन कर लें ताकि कोई हानिकारक पदार्थ न रह जाए। ऐसा न करने से मालिश करने से होने वाले लाभ के बजाय योनि के छिल जाने से हानि भी हो सकती है। 2. दूध:  बकरी और गाय आदि दोनों के दूध से निर्मित मट्ठे या छाछ को योनि में छीटें दें और इसी से योनि को धोने से योनि सिकुड़कर छोटी हो जाती है। 3. बीर बहूटी:  बीर बहूटी को सुखाकर रख लें, इसे घी में मिलाकर पीसकर योनि पर लेप करने से योनि का आकार छोटा हो जाता है। 4. भांग:  उत्तम क्वालिटी की भांग को पीसकर छान लें। फिर कपड़े में इसकी पोटली बांधकर योनि में रखने से बढ़ी हुई योनि पहले जैसे हो जाती है। 5. माजूफल:  माजूफल, धाय के फूल और फिटकरी को पीसकर बेर के समान आकार की गोली बनाकर योनि के अन्दर रख लें। इससे योनि छोटी हो जाती है। 6. ढाक की छाल:  ढाक की छाल और गूलर क

छोटी उम्र में रक्तस्राव

छोटी उम्र में रक्तस्राव परिचय: लगभग 9 से 10 साल की लड़कियां की योनि से प्रदर के बहने को लेकर होने वाली समस्या कम उम्र में योनिस्राव कहलाता है। लक्षण: योनि में खुजली होने पर थोड़ा-सा खुजलाने से योनि के मुख के छिल जाने पर योनि से कुछ चिकनापन-सा श्वेत पानी निकलने लगता है जिसे ज्यादातर स्त्रियां प्रदर समझ लेती हैं। चिकित्सा: 1. त्रिफला:  त्रिफला 30 ग्राम की मात्रा में लेकर जौ कूट करके 500 मिलीलीटर पानी में डालकर पकायें, जब आधे बचे पानी से योनि को धो लें। ध्यान रहे कि च्यवनप्राश के खाने के बाद ही इसका प्रयोग करें। 

योनि में दर्द का घरेलु ईलाज

योनि दर्द कारण: योनि में दर्द कई कारणों से हो सकता है जैसे- चोट लगने से, सीढ़ियों से गिरने, गुसलखाने में फिसल जाने पर, काफी समय तक भीगे वस्त्रों में कपड़े धोने से, नवयुवतियां का नंगे पैर फर्श साफ करने से, नंगे पांव गीले पांव फर्श पर रसोईघर में काम करने से इसके अलावा कुछ अन्य कारण भी होते हैं, आंतरिक वस्त्र, तौलिया, फुंसियां होने पर, योनि के संकुचन होने पर, प्रसव (बच्चे के जन्म के बाद) सूतिका की बीमारी में जीवाणुओं के संक्रमण से, मासिक-धर्म के समय पर न होने पर, खुजलाते वक्त नाखून लग जाने पर योनि के भीतर की बहुत कोमल त्वचा में जख्म हो जाने से योनि में दर्द होने लगता है। विभिन्न औषधियों से उपचार- 1. माजूफल:  माजूफल को पानी में पीसकर रूई का फोहा बनाकर स्त्री की योनि में संभोग (सहवास) करने से पहले रख दें, इसके बाद संभोग करने से से योनि में दर्द नहीं होता है। नोट: इसका प्रयोग गर्भ को रोकने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। इसलिए सोच समझकर ही इस्तेमाल करें। 2. नीम: नीम की निम्बोली (बीज) और एरण्ड के बीजों का गूदा नीम के पत्तों को निचोड़कर प्राप्त हुए रस में पीसकर योनि में लगाने से योनि की पीड़ा शांत

ढीली योनि को छोटी करना ,योनि का संकोचन

योनि का संकोचन परिचय: बढ़ती उम्र के अनुसार या बार-बार प्रसव (डिलीवरी) के कारण योनि की मांसपेशियों में शिथिलता आना स्वाभाविक ही है, जिससे भग (योनि) अपेक्षाकृत ढीले अनुभव होते हैं। ज्यादातर लोग गलत समझकर अपने दाम्पत्य जीवन को बिगाड़ देते हैं। इसलिए योनि संकोचन के बारे में ज्ञान होना जरूरी है। चिकित्सा: 1. बैंगन:  बैंगन को सुखाकर बारीक पीसकर योनि पर लगाने से योनि संकोचन होता है। 2. वीर बहूटी:  वीर बहूटी 5 ग्राम को लगभग 50 ग्राम देशी घी में मिलाकर योनि पर लगाने से लाभ मिलता है। 3. गूलर:  गूलर की गूदे (गूंद) को बारीक पीसकर कपड़े से छान लें, फिर इस पीसे चूर्ण को शहद में मिलाकर योनि पर लगाकर रख दें। अन्त में सूखने के बाद हल्के गर्म पानी से धोने से योनि संकुचित होती है। 4. आंवला: आंवला (आमले) की छाल को 20 ग्राम की मात्रा में लेकर मोटा-मोटा पीसकर लगभग 250 मिलीलीटर पानी में डालकर पकायें, जब पानी आधा बच जाये तब ठण्डा करके योनि पर लगाने से योनि की शिथिलता या ढीलापन दूर हो जाता है।आंवला (आमले) को पकाकर काढ़ा बनाकर रख लें। इस काढे़ को दही में मिलाकर योनि पर सुबह-शाम लगाने से लाभ मिलता है। 5. फिटकरी:  फि

योनि की गांठ ,योनि में गांठ का होना

योनि की गांठ कारण: योनि कन्द नामक रोग कई कारणों से होता है। योनि में गांठ का रोग दिन में सोने से, अत्यन्त गुस्सा व परिश्रम, ज्यादा मैथुन करने से, नाखून, दांत आदि के कारण चोट-जख्म और वातादि रोग से प्रदूषित होकर योनि कन्द की बीमारी पैदा हो जाती है। लक्षण: योनिकन्द में बड़हल की भांति योनि में रुधिर (खून) की गांठें (गिल्टी) पैदा हो जाती हैं। यदि योनि कन्द में जलन हो, लाली हो, बुखार पैदा हो तो वह पित्त से उत्पन्न मानी जाती है। यदि योनिकन्द तिल के फूल के समान हो और उसमें खुजली होती हो तो उसे कफ से उत्पन्न माना जाता है। इसी प्रकार यदि योनि कन्द में तीनों (वात, पित्त और कफ) के लक्षण मिलते हो तो उसे त्रिदोष (वात, कफ और पित्त) से उत्पन्न माना जाता है। विभिन्न औषधियों से उपचार- 1. आंवला:  आंवले (आमले) की गुठली, बायविंडग, हल्दी, रसौत और कायफल को पीसकर चूर्ण बनाकर शहद में मिलाकर योनि में रख लें, फिर त्रिफले के काढ़े में शहद डालकर योनि को धोने से योनि कन्द की बीमारी समाप्त हो जाती है। 2. कायफल:  कायफल, आम की गुठली, गेरू और हल्दी को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। इस चूर्ण

योनि की सूजन

योनि की सूजन परिचय: योनि (भग) की सूजन या शोथ को भग की सूजन या शोथ कहते हैं। चिकित्सा: 1. सूरजमुखी :  सूरजमुखी की जड़ को माण्ड में घिसकर लगाने से योनि की सूजन में आराम होता है। 2. एरण्ड : एरण्ड तेल में रूई का फोहा भिगोकर योनि में धारण करने से योनि का दर्द मिट जाता है।गर्भाशय की सूजन प्राय: प्रसव यानी डिलीवरी के बाद होती है। इसमें महिला को बहुत तेज बुखार होता है। ऐसी अवस्था में एरण्ड के पत्तों के रस में उम्दा शुद्ध रूई का फोहा भिगोकर योनि में रखने से आराम होता है।

योनि (स्त्री जननांग) को छोटी करना

योनि (स्त्री जननांग) को छोटी करना परिचय: अधिक संभोग करने या अधिक संतानों के जन्म लेने से अथवा अन्य कारणों से योनि बड़ी हो जाती है। ऐसी स्थिति में उसे सिकोड़ने की चिकित्सा अवश्य ही करनी चाहिए। विभिन्न औषधियों से उपचार- 1. गेंदा:  गेंदा को जलाकर उसकी राख को योनि में रखकर मलना चाहिए। परन्तु ध्यान रखें कि उसे कपड़छन कर लें ताकि कोई हानिकारक पदार्थ न रह जाए। ऐसा न करने से मालिश करने से होने वाले लाभ के बजाय योनि के छिल जाने से हानि भी हो सकती है। 2. दूध:  बकरी और गाय आदि दोनों के दूध से निर्मित मट्ठे या छाछ को योनि में छीटें दें और इसी से योनि को धोने से योनि सिकुड़कर छोटी हो जाती है। 3. बीर बहूटी:  बीर बहूटी को सुखाकर रख लें, इसे घी में मिलाकर पीसकर योनि पर लेप करने से योनि का आकार छोटा हो जाता है। 4. भांग:  उत्तम क्वालिटी की भांग को पीसकर छान लें। फिर कपड़े में इसकी पोटली बांधकर योनि में रखने से बढ़ी हुई योनि पहले जैसे हो जाती है। 5. माजूफल:  माजूफल, धाय के फूल और फिटकरी को पीसकर बेर के समान आकार की गोली बनाकर योनि के अन्दर रख लें। इससे योनि छोटी हो जाती है। 6. ढाक की छाल:  ढाक की छाल और गूलर क

महिलाओं के यौन रोग :-मासिक-धर्म में दर्द का अचूक उपाय

मासिक-धर्म में दर्द 1. तारपीन:  कमर तक गुनगुने पानी में बैठे और पेडू (नाभि) पर सेक करने के बाद तारपीन के तेल की मालिश करने से मासिक-धर्म की पीड़ा नष्ट हो जाती है। 2. बबूल:  लगभग 250 ग्राम बबूल की छाल को जौकूट यानी पीसकर 2 लीटर पानी में पकाकर काढ़ा बना लें। जब यह 500 मिलीलीटर की मात्रा में रह जाए तो योनि में पिचकारी देने से मासिक-धर्म जारी हो जाता है और उसकी पीड़ा भी शान्त हो जाती है। 3. कालीमिर्च:  कालीमिर्च एक ग्राम, रीठे का चूर्ण 3 ग्राम दोनों को कूटकर जल के साथ सेवन करने से आर्तव (माहवारी) की पीड़ा (दर्द) नष्ट हो जाती है। 4. अजवायन:  अजवायन, पोदीना, इलायची व सौंफ इन चारों का रस समान मात्रा में लेकर लगभग 50 ग्राम की मात्रा में मासिकस्राव के समय पीने से आर्तव (माहवारी) की पीड़ा नष्ट हो जाती है। 5. रीठा:  मासिकस्राव के बाद वायु का प्रकोप होने से स्त्रियों का मस्तिष्क शून्य हो जाता है। आंखों के आगे अंधकार छा जाता है। दांतों की बत्तीसी भिड़ जाती है। इस समय रीठे को पानी में घिसकर झाग (फेन) बनाकर आंखों में अंजन लगाने से तुरन्त वायु का असर दूर होकर स्त्री स्वस्थ हो जाती है। 6. मूली: जब मासिक-धर्म