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Showing posts from March, 2016

वीर्य की कमी (SEXUAL DEBILITY)

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        हमेशा उदास सा रहना, किसी काम में मन का न लगना, सुस्ती, कमजोरी, अपंगता और मानसिक कमजोरी आदि के लक्षण वीर्य की कमी में देखे गये हैं। परहेज  :          गर्म मिर्च मसालेदार पदार्थ और मांस, अण्डे आदि, हस्तमैथुन करना, अश्लील पुस्तकों और चलचित्रों को देखना,  बीड़ी-सिगरेट ,   चरस ,   अफीम ,  चाय ,   शराब , ज्यादा सोना आदि बन्द करें। चिकित्सा : 1. चोब चीनी  :   चोब चीनी   को  दूध  में उबालकर 3 से 6 ग्राम को मस्तगी,  इलायची  और   दालचीनी  के साथ सुबह-शाम खाने से धातु (वीर्य) की कमी दूर होती है। 2. छोटी माई :  छोटी माई का चूर्ण 2 से 4 ग्राम सुबह-शाम खाने से धातु (वीर्य) की कमी व कमजोरी दूर होती है। 3. गुरुच  :  गुरुच का चूर्ण आधे से एक ग्राम सुबह-शाम शहद के साथ खाने से लाभ होता है। 4. बेल  :   बेल  की जड़ की छाल को जीरे के साथ पीसकर   घी   में मिलाकर सुबह-शाम पीने से वीर्य का पतलापन दूर होता है। 4. गुंजा  :   गुंजा  की जड़ 2 ग्राम को दूध में पकाकर रोज रात को खाना खाने से पहले खाने से वीर्य के सभी रोग खत्म हो जाते हैं। 5. गुलशकरी  :  गुलशकरी की जड़ 6 ग्राम से 10 ग्राम को मिश्री मिले दूध के साथ

वीर्य के दोष दूर करें (REMOVING SPERM DISORDERS)

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परिचय :           वीर्य ही शरीर की सप्त धातुओं का राजा माना जाता है और ये सप्त धातुयें भोजन से प्राप्त होती हैं। इसमे सातवी धातु ही पुरुष में वीर्य बनती है। 100 बूंद खून से एक बूंद वीर्य बनता है। एक महीने में लगभग 1 लीटर खून बनता है जिससे 25 ग्राम वीर्य बनता है और  गर्भाधान  के लिए 60 से 70 करोड़ जीवित शुक्राणुओं का होना जरूरी होता है। इसलिए   संभोग  हफ्ते में एक बार ही करना चाहिए क्योंकि एक बार के संभोग के दौरान 10 ग्राम वीर्य निकल जाता है। वीर्य में जीवित शुक्राणुओं की कमी से महिलाओं को गर्भवती भी बनाया नहीं जा सकता। वीर्य परीक्षण में वीर्य गर्भाधान के लिए 7.8 पी.एच से 8.2 पी. एच ही सही माना गया है। वीर्य में दो प्रकार के शुक्राणु  होते हैं एक्स और वाई। एक्स शुक्राणुओं से पुत्री पैदा होती है और वाई शुक्राणुओं से पुत्र पैदा होता है। एक शुक्राणु की लम्बाई लगभग 1/500 इंच होती है।            कभी-कभी वीर्य पतला होने के कारण गर्भ नहीं ठहरा पाता ऐसा तब होता है जब कोई ज्यादा  मैथुन  करके वीर्य को नष्ट कर देता है या अन्य दूसरी किसी बीमारी से ग्रस्त होकर जैसे:-   प्रमेह ,   सुजाक ,   मूत्रघात ,

स्वप्नदोष (NIGHT FALL)

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परिचय :          रात के समय सोते हुए अपने आप या अश्लील स्वप्न देखते हुए वीर्य का निकल जाना ही स्वप्नदोष कहलाता है। कारण :           फिल्मों में अश्लील दृश्यों को देखना, स्कूल कॉलजों मे लड़के- लड़कियों का खुले मे घूमना, नवयुवकों के सर में हमेशा कामवासना का ध्यान रहना, लड़कियों के बारे ज्यादा सोचना, उनके अंगों को कामुक नजरों से देखना, अधिक  मैथुन  करना, किसी लड़की के स्पर्श करने पर सोचना, सहवास में खोये रहना मसालेदार भोजन खाने,   चाय ,   शराब  व रात को गर्म   दूध  पीना ही स्वप्नदोष का कारण बनता हो सकता है।           कभी-कभी यह कारण न होकर इसका उलटा होता है। जैसे हार्मोन के बढ़ने पर वीर्य ज्यादा बनने लगते हैं। इससे शरीर में गर्मी पैदा होती है और वीर्य अपने आप रात में या जरा सी गर्मी होते ही बाहर निकल पड़ता है। इसमें रोगी का कोई दोष नहीं होता है। स्वप्नदोष अगर महीने या साल में होता है तो डरने की कोई बात नहीं मगर रोज या हफ्ते में हो तो इसका उपचार जल्द से जल्द कराना चाहिए नहीं तो रोगी नपुंसक भी बन सकता है। लक्षण  :         इस रोग से ग्रस्त रोगी का शरीर कमजोर हो जाता है। चेहरे की चमक खत्म हो जाती ह