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Showing posts from December, 2016

हस्तमैथुन के दुष्प्रभाव(Masturbation)

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हस्तमैथुन (Masturbation) परिचय अपने हाथ से लिंग को तेजी के साथ गति देकर वीर्य को निकाल देना ही हस्तमैथुन कहलाता है। हस्तमैथुन को दूसरी भाषा में आत्ममैथुन भी कहते हैं। किशोर अवस्था में अधिकांश युवक हस्तमैथुन की क्रिया को अंजाम देना शुरू कर देते हैं। कई पुरुष अपने मित्रों को हस्तमैथुन करते देखकर खुद भी यह कार्य करने लगते हैं। हस्तमैथुन को बढ़ावा देने वाली वह किताबें भी होती है जो सेक्स क्रिया को जगाती है। हस्तमैथुन वे किशोर व जवान व्यक्ति करते हैं जो आवारा किस्म के, अपनी जिंदगी के बारे में न सोचने वाले तथा अपनी पढ़ाई के बारे में बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते हैं। लक्षण - इस रोग के अंदर पढ़ने में मन न लगना, खाने-पीने का मन न करना, कोई भी कार्य करने का दिल न करना तथा सदा ऐसा मन करना कि किसी भी काम को करने पर असफलता ही हाथ लगेगी, इस तरह के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। जानकारी- कई मनोचिकित्सकों का मानना है कि अगर ज्यादा समय तक हस्तमैथुन न किया जाए तो वह हानिकारक नहीं होता है। अधिक मात्रा में हस्तमैथुन करने से शरीर के अंदर कई प्रकार के रोग पैदा हो जाते हैं जैसे- चेहरे की चमक समाप्त हो जाना, आंखों

स्तंभन दोष/ नपुंसकता क्या होती है (Erectile Dysfunction)

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स्तंभन दोष (Erectile Dysfunction) स्तंभन दोष या नपुंसकता एक प्रकार का यौन अपविकास है। यह संभोग के दौरान शिश्न के उत्तेजित न होने या उसे बनाए न रख सकने के कारण पैदा हुई यौन निष्क्रियता की स्थिति है। इसके मुख्य जैविक कारणों में हृदय और तंत्रिकातंत्र संबंधी बिमारियाँ, मधुमेह, संवेदनामंदक पदार्थों के दुष्प्रभाव आदि शामिल हैं। मानसिक नपुंसकता शारीरिक कमियों की वजह से नहीं बल्कि मानसिक विचारों और अनुभवों के कारण पैदा होती है। लक्षण स्तंभन दोष के लक्षण को कई प्रकार से परखा जा सकता है : कुछ अवसरों पर पूर्ण स्तंभन का प्राप्त होना, जैसे सोने के समय (जब व्यक्ति की मानसिक या मनोवैज्ञानिक समस्याएँ अपेक्षाकृत अनुपस्थित होती हैं), दर्शाता है कि व्यक्ति की शारीरिक संरचनाएँ सुचारु रूप से कार्य कर रही हैं। यह संकेत है कि समस्या शारीरिक से अधिक मानसिक है।व्यक्ति में बहुमूत्र की शिकायत भी एक कारक है जो स्तंभन में बाधा उत्पन्न करती है। मधुमेह के कारण बहुमूत्र व्यक्ति में तंत्रिकाविकृति उत्पन्न कर सकती है।

सेक्स में असफलता (Failure in sex)

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सेक्स में असफलता (Failure in sex) असफल सेक्स का कारणः कुछ स्त्री-पुरुषों के लिए सेक्स करना असंभव क्यों हो जाता है? ऐसे व्यक्ति जो न तो नपुंसक होते हैं और नहीं उनमें सेक्स की पाबंदी होती है फिर भी वे सेक्स संबंधी दुर्बलता का अनुभव क्यों करते हैं और संभोग कार्य में पूर्ण आनन्द लेने या देने में असमर्थ क्यों रहते हैं? कुछ लोगों में इस तरह के सवाल हमेशा बने रहते हैं कि आखिर क्या कारण है कि मैं सेक्स नहीं कर पाता और सेक्स का सही आनन्द नहीं ले पाता। इस तरह के सवाल मन में उत्पन्न होने पर व्यक्ति अक्सर अपने किसी भी शारीरिक कमजोरी को उसका कारण मानने लगते हैं। कुछ लोग तो अपने मोटापे को ही नपुंसकता का कारण मान लेते हैं। मोटापे से परेशान व्यक्ति हमेशा यह सोचता रहता है कि मोटापे और सेक्स के बीच जरूर कोई न कोई संबंध हैं। ऐसे में यदि मोटापा कम हो जाए और शरीर का वजन सामान्य हो जाए तो मुझे नपुंसकता की परेशानी से छुटकारा मिल सकता है। सेक्स विशेषज्ञों के अनुसार व्यक्ति में सेक्स की असफलता या दुर्बलता का कारण यदि कोई रोग हो तो उस रोग के समाप्त होने पर नपुंसकता अर्थात सेक्स की कमजोरी अपने आप समाप्त हो जा

फिरंग रोग क्या होता है (Firang)

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फिरंग (Firang) इस रोग की चिकित्सा घरेलू इलाज के रूप में करना जोखिम उठाना है, क्योंकि इसकी चिकित्सा आसान नहीं है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में फिरंग रोग को सिफलिस कहते हैं। फिरंग रोग उपदंश से मिलता जुलता पर अलग प्रकार का होता है। यह पश्चिम में पाया जाता है और वहीं से भारत आया, फिरंगी से फिरंग बना इसलिए इसे फिरंग रोग कहा गया। फिरंग यानी सिफलिस रोग की चर्चा पुराने आयुर्वेदिक ग्रंथों में नहीं मिलती। भावप्रकाश ग्रंथ में इसकी जानकारी मिलती है, इसकी रचना सन्‌ 1550 के आसपास हुई और तभी पुर्तगाली भारत आ चुके थे, अतः ऐसा माना जाता है कि उनके साथ ही यह रोग भारत में आया। फिरंग और उपदंश में कई बातें मिलती हैं, लेकिन उपदंश को फिरंग नहीं कह सकते, दोनों रोग अलग-अलग हैं। भावप्रकाश आयुर्वेदिक ग्रंथ के अनुसार फिरंग देश के पुरुषों व स्त्रियों के साथ यौन संसर्ग करने से इस रोग के लक्षण प्रकट होते हैं। उत्पत्ति के प्रमुख कारण इस रोग को आतशक या गरमी भी कहते हैं। वेश्या या कॉलगर्ल टाइप की स्त्रियां अक्सर इस रोग से ग्रस्त रहती हैं। इस रोग से ग्रस्त स्त्री के साथ संभोग करने या ऐसे व्यक्ति के निकट संपर्क में रहने,

भगन्दर क्या होता है (Fissure)

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भगन्दर (Fissure) परिचय भगन्दर रोग से पीड़ित रोगी के मलद्वार की त्वचा में दरार पड़ जाती है और यह दरार वहां की मांसपेशियों की गहराई तक पहुंच जाती है। जिसके कारण से रोगी को मल त्याग करते समय बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। रोगी जब मल त्याग करता है तो उसे दर्द तथा जलन महसूस होती है। भगन्दर रोग के लक्षण इस रोग से पीड़ित रोगी को गुदा के आसपास दर्द होता है तथा शौच करते समय उसे बहुत तेज दर्द होता है। भगन्दर रोग से पीड़ित रोगी को गुदा में से कभी-कभी खून भी आ जाता है तथा उसके गुदा के चारों तरफ खुजली भी होने लगती है। भगन्दर रोग होने का कारण भगन्दर रोग के होने का सबसे प्रमुख कारण गलत तरीके का भोजन करना है जिसके कारण से रोगी को कब्ज की शिकायत हो जाती है और कब्ज के कारण रोगी को सख्त मल आता है जो गुदा के मुंह की रचना एवं झिल्ली को तोड़ देता है जिसके कारण से मलद्वार के आस-पास दरारे पड़ जाती हैं। भगन्दर रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार भगन्दर रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी को अपने कब्ज के रोग को दूर करना चाहिए ताकि उसका मल नियमित रूप से और नर्म आए।भगन्दर रोग से पीड़ित रोगी को 4-5 दिनों तक फलों

भगन्दर (FISTULA-IN-ANO)

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भगन्दर (FISTULA-IN-ANO) परिचय : यह एक प्रकार का नाड़ी में होने वाला रोग है, जो गुदा और मलाशय के पास के भाग में होता है। भगन्दर में पीड़ाप्रद दानें गुदा के आस-पास निकलकर फूट जाते हैं। इस रोग में गुदा और वस्ति के चारो ओर योनि के समान त्वचा फैल जाती है, जिसे भगन्दर कहते हैं। `भग´ शब्द को वह अवयव समझा जाता है, जो गुदा और वस्ति के बीच में होता है। इस घाव (व्रण) का एक मुंख मलाशय के भीतर और दूसरा बाहर की ओर होता है। भगन्दर रोग अधिक पुराना होने पर हड्डी में सुराख बना देता है जिससे हडि्डयों से पीव निकलता रहता है और कभी-कभी खून भी आता है। भगन्दर रोग अधिक कष्टकारी होता है। यह रोग जल्दी खत्म नहीं होता है। इस रोग के होने से रोगी में चिड़चिड़ापन हो जाता है। इस रोग को फिस्युला अथवा फिस्युला इन एनो भी कहते हैं। रोग के प्रकार : भगन्दर आठ प्रकार का होता है-1. वातदोष से शतपोनक 2. पित्तदोष से उष्ट्र-ग्रीव 3. कफदोष से होने वाला 4. वात-कफ से ऋजु 5. वात-पित्त से परिक्षेपी 6. कफ पित्त से अर्शोज 7. शतादि से उन्मार्गी और 8. तीनों दोषों से शंबुकार्त नामक भगन्दर की उत्पति होती है। 1. शतपोनक नामक भगन्दर : शतपोनक न

यौन रोग सुजाक और आतशक (Gonorrhea and syphilis)

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सुजाक और आतशक (Gonorrhea and syphilis) परिचय- सुजाक और आतशक (उपदंश) यौन रोगों की बहुत ही घिनौनी बीमारियों में गिनी जाती हैं। यह रोग स्त्री और पुरुष दोनों को हो सकता है। कारण- सुजाक या उपदंश रोग स्त्री और पुरुषों के गलत तरह के शारीरिक संबंधों के कारण होने वाले रोग है। जो लोग अपनी पत्नियों को छोड़कर गलत तरह की स्त्रियों या वेश्याओं आदि के साथ संबंध बनाते हैं उन्हें अक्सर यह रोग अपने चंगुल में ले लेता है। इसी तरह से यह रोग स्त्रियों पर भी लागू होता है जो स्त्रियां पराएं पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध बनाती हैं उन्हें भी यह रोग लग जाता है। उपदंश रोग के लक्षण- गलत तरह के शारीरिक संबंधों के कारण होने वाले उपदंश रोग में रोगी व्यक्ति के जननांगों पर जख्म सा बन जाता है। अगर इस रोग के होने पर लापरवाही बरती जाती है तो यह जख्म रोगी के पूरे शरीर में फैल जाते हैं। इस रोग में रोगी के नाक की हड्डी और लिंग गल जाती है। इसके अलावा इस रोग में रोगी व्यक्ति के जोड़ों में दर्द रहने लगता है, स्त्री को बार-बार गर्भपात होने लगता है या बच्चा पैदा होकर मर जाता है या विकलांग पैदा होता है। जानकारी- उपदंश रोग के बारे म

प्रमेह,गानोरिआ (Gonorrhea)

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प्रमेह (Gonorrhea) प्रमेह या गोनोरिया एक यौन संचारित बीमारी (एसटीडी) है। गोनोरिया नीसेरिया गानोरिआ नामक जीवाणु के कारण होता है जो महिलाओं तथा पुरुषों के प्रजनन मार्ग के गर्म तथा गीले क्षेत्र में आसानी और बड़ी तेजी से बढ़ती है। इसके जीवाणु मुंह, गला, आंख तथा गुदा में भी बढ़ते हैं। गोनोरिया शिश्न, योनि, मुंह या गुदा के संपर्क से फैल सकता है। गोनोरिया प्रसव के दौरान मां से बच्चे को भी लग सकती है। लक्षण किसी भी यौन सक्रिय व्यक्ति में गोनोरिया की बीमारी हो सकती है। जबकि कई पुरुषों में गोनोरिया के कोई लक्षण दिखाई नहीं पड़ते तथा कुछ पुरुषों में संक्रमण के बाद दो से पांच दिनों के भीतर कुछ संकेत या लक्षण दिखाई पड़ते हैं। कभी कभी लक्षण दिखाई देने में 30 दिन भी लग जाते हैं। इनके लक्षण हैं- पेशाब करते समय जलन, लिंग से सफेद, पीला या हरा स्राव। कभी-कभी गोनोरिया वाले व्यक्ति को अंडग्रंथि में दर्द होता है या वह सूज जाता है। महिलाओं में गोनोरिया के लक्षण काफी कम होते हैं। आरंभ में महिला को पेशाब करते समय दर्द या जलन होती है, योनि से अधिक मात्रा में स्राव निकलता है या मासिक धर्म के बीच योनि से खून निकल