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Showing posts from August, 2015

भारत का रहस्यमय मंदिर, अंग्रेज इंजीनियर भी नहीं सुलझा सका इसकी गुत्थी

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अनंतपुर (आंध्रप्रदेश) , भारत के दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के एक छोटे से ऐतिहासिक गांव लेपाक्षी में 16 वीं शताब्दी का वीरभद्र मंदिर है। इसे लेपाक्षी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह रहस्यमयी मंदिर है, जिसकी गुत्थी दुनिया का कोई भी इंजीनियर आज तक सुलझा नहीं पाया।   ब्रिटेन के एक इंजीनियर ने भी इसे सुलझाने की काफी कोशिश की थी, लेकिन वह भी नाकाम रहा। मंदिर का रहस्य इसके 72 पिलरों में एक पिलर है, जो जमीन को नहीं छूता। यह जमीन से थोड़ा ऊपर उठा हुआ है और लोग इसके नीचे से कपड़े को एक तरफ से दूसरे तरफ निकाल देते हैं।   मंदिर का निर्माण विजयनगर शैली में किया गया है। इसमें देवी, देवताओं, नर्तकियों, संगीतकारों को चित्रित किया गया है। दीवारों पर कई पेंटिंग हैं। खंभों और छत पर महाभारत और रामायण की कहानियां चित्रित की गई हैं।   मंदिर में 24 बाय 14 फीट की वीरभद्र की एक वाल पेंटिंग भी है। यह मंदिर की छत पर बनाई गई भारत की सबसे बड़ी वाल पेंटिंग है। पौराणिक कथाओं के अनुसार वीरभद्र को भगवान शिव ने पैदा किया था। मंदिर के सामने विशाल नंदी की मूर्ति है। यह एक ही पत्थर पर बनी हुई है और कहा

ककड़ी से खत्म करें डैंड्रफ, जानें इसके उपयोगी पारंपरिक नुस्खे

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सलाद के तौर पर उपयोग में लाई जाने वाली ककड़ी भारतीय भोजन का प्रमुख हिस्सा है। यह आमतौर पर भारत के अधिकांश राज्यों में उगाई जाती है। ककड़ी का वानस्पतिक नाम कुकुमिस सटाईवस है। माना जाता है कि ककड़ी असानी से पच जाती है और पाचनशक्ति को बढ़ाती है। आदिवासी ककड़ी को अनेक हर्बल नुस्खों में अपनाते हैं, चलिए आज जानते हैं ककड़ी से जुडे पारंपरिक हर्बल नुस्खों के बारे में... 1.  ककड़ी के रस से बालों में मालिश करें। एक घंटे बाद बाल धो लें। इस नुस्खे को नियमित रूप से अपनाने पर डैंड्रफ जड़ से खत्म हो जाती है। पातालकोट के आदिवासी ककड़ी के रस में थोड़ी मात्रा में टमाटर के रस को मिलाकर लगाने की बात करते हैं, वे मानते हैं कि ऐसा करने से डैंडफ जल्द खत्म हो जाती हैं। 2.  यदि आपको अधिक भूख लगती है और आपका वज़न दिन पर दिन बढ़ रहा है तो ककड़ी आपके लिए लाभदायक साबित हो सकती है। भूख लगने पर ककड़ी का सेवन कीजिए। इसमें पर्याप्‍त मात्रा में पानी और फाइबर पाया जाता है, जबकि कैलोरी की मात्रा इसमें नहीं होती। इसके सेवन से वजन नियंत्रित रहेगा। 2.  2 चम्मच ककड़ी का रस तैयार कर इसमें कुछ बूंदे नींबू का रस व चुटकी भर पिसी हुई

7 नुस्खे: तुरई है इन मर्जों की रामबाण दवा

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तुरई की सब्जी से सभी लोग परिचित होंगे, लेकिन ये सब्जी शरीर में बड़ी गर्मी से लड़ने और हिमोग्लोबिन की मात्रा को बनाए रखने के लिए भगवान का दिया सबसे बड़ा वरदान है। इसका वानस्पतिक नाम लुफ़्फ़ा एक्युटेंगुला है। तुरई को आदिवासी कई तरह के रोगोपचार के लिए उपयोग में लाते है। मध्यभारत के आदिवासी इसे सब्जी के तौर पर बड़े चाव से खाते हैं और हर्बल जानकार इसे कई नुस्खों में इस्तेमाल भी करते हैं। चलिए आज जानते हैं ऐसे ही कुछ रोचक हर्बल नुस्खों को... 1.  आधा किलो तुरई को बारीक काटकर 2 लीटर पानी में उबाल लें। इसके बाद पानी को छान लें। अब जो पानी बचा हो उसमें बैंगन को पका लें। बैंगन पक जाने के बाद इसे घी में भूनकर गुड़ के साथ खाने से बवासीर में बने दर्द व मस्से झड़ जाते हैं। 2.  पीलिया होने पर तुरई का रस यदि रोगी की नाक में दो से तीन बूंद डाला जाए तो नाक से पीले रंग का द्रव बाहर निकलता है। आदिवासी मानते है कि इससे बहुत जल्दी पीलिया रोग खत्म हो जाता है। 3.  तुरई के छोटे छोटे टुकड़े काटकर छांव में सुखा लें। सूखे टुकड़ों को नारियल के तेल में मिलाकर 5 दिन तक रखे।बाद में इसे गर्म कर लें। तेल छानकर रोजाना बालों पर ल

आसान उपायः अदरक सुखाकर खाएंगे तो मिट जाएंगे ये रोग

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भारत में चाय को खुशबूदार बनाने व सब्जी को मसालेदार बनाने में सदियों से अदरक का उपयोग किया जाता रहा है। यदि अदरक सिर्फ एक मसाला ही नहीं है, ये एक गजब की औषधि भी है। इसका उपयोग भी दो रूपों में किया जाता है। ताजा अदरक के रूप में व इसे सुखाकर सौंठ के रूप में। सिर्फ ताजा अदरक ही नहीं सौंठ को भी आयुर्वेद में जबरदस्त औषधि माना गया है।सौंठ में कफ नाशक गुण होने के कारण यह खांसी और कफ रोगों में उपयोगी है। इसमें 1.6 से 2.44 प्रतिशत नाइट्रोजन होती है। इसके अलावा सौंठ में मुक्त अमीनो अम्ल जैसे - ग्लूटेमिक एसिड, एस्पार्टिक एसिड, सीरीन, प्लाइसीन थ्रीयोविन, ऐलेनीन अर्जीनीन, बेलीन, फिनाइल एलेन, एस्पेरेजीन, लायसीन, सीस्टीन, हिस्टीडीन, ल्यूसीन्स प्रोलीन और पाइकोलिक एसिड आदि मौजूद होते हैं। साथ ही, कार्बोहाइड्रेट, प्राेटीन, स्टार्च व ग्लूकोस, फ्रूक्टोस, सुक्रोस, रैफीनील भी पाए जाते हैं। 1. कमर दर्द आधा चम्मच सौंठ का चूर्ण दो कप पानी में उबाल लें। जब पानी आधा कप रह जाए तब छानकर ठंडा कर उसमें दो चम्मच अरण्डी तेल मिलाकर उबालकर पिएं। ऐसा नियमित रूप से कुछ दिन करें कमर दर्द में ये उपाय रामबाण है। 2. आधा सिर दर

शिलाजीत खाये और मर्दाना ताकत पाये

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आयुर्वेद के बलपुष्टिकारक, ओजवर्द्धक, दौर्बल्यनाशक एवं धातु पौष्टिक अधिकांश नुस्खों में शिलाजीत का प्रयोग किया जाता है। इसकी एक बहुत बड़ी विशेषता यह है कि यह सिर्फ रोग ग्रस्त का रोग दूर करने के लिए ही उपयोगी नहीं है, बल्कि स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी उपयोगी है। इसे यौन दौर्बल्य यानी विशेषकर मधुमेह, धातु क्षीणता, बहुमूत्र, स्वप्नदोष, सब प्रकार के प्रमेह, यौन दौर्बल्य यानी नपुंसकता, शरीर की निर्बलता, वृद्धावस्था की निर्बलता आदि व्याधियों को दूर करने के लिए शिलाजीत उत्तम गुणकारी सिद्ध होती है। नपुंसकता से पीड़ित विवाहित व्यक्ति ही नहीं, अविवाहित युवक भी सेवन कर सकता है। स्वप्नदोष : * शुद्ध शिलाजीत 25 ग्राम, लौहभस्म 10 ग्राम, केशर 2 ग्राम, अम्बर 2 ग्राम, सबको मिलाकर खरल में खूब घुटाई करके महीन कर लें और 1-1 रत्ती की गोलियां बना लें। एक गोली सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से स्वप्नदोष होना तो बंद होता ही है, साथ ही पाचनशक्ति, स्मरण शक्ति और शारीरिक शक्ति में भी वृद्धि होती है, इसलिए यह प्रयोग छात्र-छात्राओं के लिए भी उपयोगी है। * शिलाजीत और बंगभस्म 20-20 ग्राम, लौहभस्म 10 ग्राम और अभ्रक भस्म 5 ग्र

काला धतूरा THORN APPLE

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 परिचय :  धतूरा के पौधे लगभग सभी जगह पाए जाते हैं और यह आसानी से नहीं मिलते हैं। काले धतूरे में सफेद फूल लगते हैं जो गोल घण्टे के आकार की होते हैं। इसके पत्ते कोमल व मुलायम होते हैं। इसके फल सेब की तरह गोल होते हैं और फल के ऊपर छोटे-छोटे कांटे होते हैं। धतूरे चार प्रकार के होते हैं- काला, सफेद, नीला व पीला। काले धतूरे का रंग गहरे काले रंग का होता है और इसके पत्ते, डंडी व फूल भी काले ह ी होते हैं। विभिन्न भाषाओं मे धतूरे का नाम : हिन्दी धतूरा। अंग्रेजी थोर्न एपल। संस्कृत धतूर, धूर्त। बंगाली धतूरा। मराठी धोतरा। गुजराती धतूरो। विभिन्न रोगों में उपचार : इसके सेवन की मात्रा एक ग्राम के चौथाई हिस्से तक की होती है, लेकिन इस काले धतूरे का प्रयोग बगैर चिकित्सक के निर्देशन में करना खतरनाक हो सकता है। 1. सूजन: धतूरे के पत्तों का रस, अफीम व सोंठ को मिलाकर पीस लें और इसका लेप हाथ-पैर करें। इससे सूजन दूर होती है। इससे वात के कारण आई सूजन व दर्द भी दूर होता है। 2. सांस रोग: धतूरे को धूम्रपान की तरह सेवन करने से सांस रोग दूर होता है। 3. इसके बीजों का बाह्य प्रयोग बालों में होनेवाले जूओं को नष्ट करता ह

देशी गाय के घी से होने वाले लाभ ...

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1.गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है। 2.गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है। 3.गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है। 4.(20-25 ग्राम) घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे का नशा कम हो जाता है। 5.गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही ठीक हो जाता है। 6.नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तरोताजा हो जाताहै। 7.गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बाहर निकल कर चेतना वापस लोट आती है। 8.गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है। 9.गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है। 10.हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ठीक होता है। 11.हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी। 12.गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है। 13.गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है 14.गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिक

पुरुषों की हर तरह कमजोरी को जड़ से मिटाने के कुछ अचूक देसी तरीके

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 उड़द- उड़द के लड्डू, उड़द की दाल, दूध में बनाई हुई उड़द की खीर का सेवन करने से वीर्य की बढ़ोतरी होती है और संभोग शक्ति बढ़ती है। तालमखाना- तालमखाना ज्यादातर धान के खेतों में पाया जाता है इसे लेटिन भाषा में एस्टरकैन्था-लोंगिफोलिया कहते हैं। वीर्य के पतले होने पर, शीघ्रपतन रोग में, स्वप्नदोष होने पर, शुक्राणुओं की कमी होने पर रोजाना सुबह और शाम लगभग 3-3 ग्राम तालम खाना के बीज दूध के साथ लेने से लाभ होता है। इससे वीर्य गाढ़ा हो जाता है। गोखरू- गोखरू का फल कांटेदार होता है और औषधि के रूप में काम आता है। बारिश के मौसम में यह हर जगह पर पाया जाता है। नपुंसकता रोग में गोखरू के लगभग 10 ग्राम बीजों के चूर्ण में इतने ही काले तिल मिलाकर 250 ग्राम दूध में डालकर आग पर पका लें। पकने पर इसके खीर की तरह गाढ़ा हो जाने पर इसमें 25 ग्राम मिश्री का चूर्ण मिलाकर सेवन करना चाहिए। इसका सेवन नियमित रूप से करने से नपुसंकता रोग में बहुत ही लाभ होता है। मूसली- मूसली पूरे भारत में पाई जाती है। यह सफेद और काली दो प्रकार की होती है। काली मूसली से ज्यादा गुणकारी सफेद मूसली होती है। यह वीर्य को गाढ़ा करने वाली होती ह

क्या लिंग की कम लम्बाई से परेशान है

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पुरूष अपने शिश्न या लिंग के द्वारा शुक्राणु को स्त्री के योनि में डालता है। लिंग की लम्बाई 7.5 सेटीमीटर से लेकर 10 सेंटीमीटर तथा इसकी चौड़ाई 2.5 सेंटीमीटर होती है। संभोग करने के लिए लिंग का छोटा या बड़ा होना ज्यादा मायने नहीं रखता है। कुछ लोग अपने लिंग को छोटा होने पर अपने दिमाग में कुछ हीन भावना बना लेते हैं। इससे वह मानसिक रूप से प्रभावित हो जाते है। ऐसी स्थिति में लिंग बढ़ाना आवश्यक हो जाता है।यदि ३ से ४ इंच लम्बा हो तो सेक्स में कोई रुकावट नहीं होती है. लेकिन इतनी लम्बाई से बच्चेदानी के मुह पर प्रहार कम होता है और जी पॉइंट पर घर्षण में भी कमी रहती है. ज्यादा सब्जियां और फल खाएं : उन फलों और सब्जियों को खाएं जिनमें ऐंटि-ऑक्सिडेंट ज्यादा हो। यह कंपाउंड धमनियों में मौजूद फ्री रेडिकल्स से लड़ता है और धमनियों को मजबूत बनाता है।इसलिए ऐंटि-ऑक्सिडेंट से भरपूर फल और सब्जियों के सेवन से आप अपने पेनिस के साइज को बढ़ा सकते हैं। स्मोकिंग करना छोड़ दें : सिगरेट के छोटे-छोटे कण धमनियों को ब्लॉक कर देते हैं जिससे शरीर के सभी हिस्सों तक पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं पहुंच पाता और शरीर के ठीक से विक

पति-पत्नी के बीच अच्‍छे सेक्सुअल रिलेशन

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कपल्स सरल और अचूक घरेलू नुस्खों द्वारा अपनी सेक्स लाइफ को आकर्षक बना सकते हैं, आइए जानते हैं, कैसे- * 2-4 सूखे अंजीर सुबह-शाम दूध में पकाकर खाएं और ऊपर से दूध पीएं। इसके सेवन से शरीर में नई शक्ति आती है। * 7-7 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण, मिश्री और शहद लेकर इसमें 15 ग्राम गाय का घी मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। * 50 ग्राम उड़द या उड़द की दाल को पानी में भिगोकर छिल्का निकाल लें, फिर इसे घी में भूनकर दूध, शकर, बादाम, मुनक्का आदि डालकर खीर बनाकर खाएं। इसका नियमित सेवन करने से महिला व पुरुष दोनों का सेक्सुअल पॉवर बढ़ता है। * 10-10 ग्राम शहद, अदरक का रस व प्याज का रस और 5 ग्राम घी- सबको एकसाथ मिलाकर सेवन करने से सेक्सुअल पावर बढ़ता है। इस नुस्खे का इस्तेमाल नियमित रूप से 21 दिन तक सुबह के समय करना चाहिए

मधुमेह रोगियों को कौन-कौन से फलों का सेवन करना चाहिये

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१.कीवी खाने से ब्‍लड शुगर लेवल कम होता है। २.काली जामुन मधुमेह रोगियो के लिये यह फल बहुत ही लाभकारी है। इसके बीजो़ को पीस कर खाने से मधुमेह कंट्रोल होता है। ३. अमरख यदि आप को मधुमेह है तो आप यह फल आराम से खा सकते हैं। पर यदि रोगी को डायबिटीज अपवृक्कता है तो उसे अमरख खाने से पहले डॉक्‍टर से पूछना चाहिये। ४.अमरूद में विटामिन ए और विटामिन सी के अलावा फाइबर भी होता है। ५.चैरी इसमें जीआई मूल्‍य 20 होता है जो कि बहुत कम माना जाता है। यह मधुमेह रोगियों के लिये बहुत ही स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक मानी जाती है। ६.आड़ू इस फल में भी जीआई बहुत कम मात्रा में पाया जाता है और मधुमेह रोगियों के लिये अच्‍छा माना जाता है। ७. सेब सेब में एंटीऑक्‍सीडेंट होता है जो कोलेस्‍ट्रॉल लेवल को कम करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है। ८. अनानास इसमें एंटी बैक्‍टीरियल तत्‍व होने के साथ ही शरीर की सूजन कम करने की क्षमता होती है। यह शरीर को पूरी तरह से फायदा पहुंचाता है। ९. नाशपाती इसमें खूब सारा फाइबर और विटामिन पाया जाता है जो कि मधुमेह रोगियों के लिये फायदेमंद होता है। १० . पपीता इसमें विटामिन और अन्‍य तरह के मिनरल ह

आंवला के उपयोग

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● आंवला प्राकृति का दिया हुआ ऐसा तोहफा है जिससे हमारे शरीर में पनप रही कई सारी बीमारियों का नाश हो सकता है। यदि आपको अच्‍छी सेहत का मालिक बनना है तो आंवला का जूस अभी से ही पीना शुरु कर दें। आंवला में आयरन और विटामिन सी भरा पड़ा होता है। हर इंसान को प्रतिदिन 50 मिली ग्राम विटामिन सी की जरूरत होती है तो ऐसे में यदि आप आंवला का सेवन या फिर इसके रस का सेवन करेंगे तो आपके शरीर में विटामिन सी की पूर्ती होगी। ● आंवले का जूस रोजाना लेने से पाचन  दुरुस्त, त्वचा में चमक, त्वचा के रोगों में लाभ, बालों की चमक बढाने, बालों को सफेद होने से रोकने के अलावा और भी बहुत सारे फायदे हैं, जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे। आंवले का मौसम दिसम्बर से चालू होकर अप्रेल तक रहता है। आंवला का जूस बनाने के लिये उसे छोटे टुकड़ों में काट लीजिये और मिक्‍सी में बारीक पीस लीजिये। उसके बाद साफ कपड़े में पीसा गया आवंला डाल कर जूस निकाल लीजिये। आंवला सेहत से भरा फल है तो ऐसे में आंवले का सेवन आपको कई बीमारियों से निजात दिला सकता है। आइये जानते हैं कि आंवला जूस हमें क्‍या क्‍या फायदा पहुंचा सकता है। 1) अस्‍थमा में लाभ यदि आम

रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है सरसों

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सरसों के तेल में ओलिक एसिड और लीनोलिक एसिड पाया जाता है, यह फैटी एसिड होते हैं जो बालों के लिए फायदेमंद हैं। इनसे बालों की जड़ो को पोषण मिलता है। अगर आप इस तेल को हफ्ते में दो दिन इस्तेमाल करेंगे तो बाल झड़ना कम हो जाता है। दातों और मसूड़ों पर सरसों का तेल रगड़ने से वह मजबूत होते हैं। पायरिया के मरीजों के लिए भी यह फायदेमंद है। इसके अलावा यह सर्दी, जुखाम, सिरदर्द और शरीर के दर्द में भी बहुत फायदा देता है। सरसों के तेल में एलिल आइसोथियोसाइनेट के गुण मौजूद होते हैं। त्वचा विकारों के लिए सबसे अच्छे इलाज के रूप में काम करता है। साथ ही यह शरीर के किसी भी भाग में फंगस को बढ़ने से रोकता है। सरसों शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। यह शरीर को गर्माहट भी प्रदान करता है, अगर इसे ठंडक में खाया जाए तो ठंड बिलकुल नहीं लगेगी। अगर आपको भूख नहीं लगती तो अपने खाने को सरसों के तेल में बनाना शुरु कर दीजिए, क्योंकि यह तेल भूख बढ़ा कर शरीर में पाचन क्षमता को बढ़ाता है। सरसों के तेल में विटामिन ई होता है। इसे त्वचा पर लगाने से सूर्य की अल्ट्रावायलेट की किरणों से बचाव होता है। सरसों का तेल साथ ही

दमा (Asthma) के कारण और उपाय

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1) 100 ग्राम दूध में लहसुन की पांच कलियां धीमी आँच पर उबाकर इस का हर रोज दिन में दो बार सेवन करें इससे दमे में काफी फायदा मिलता है। 2) तुलसी के 10-15 पत्ते पानी से साफ़ कर लें फ़िर उन पर काली मिर्च का पावडर बुरककर खाने से दमा मे आराम मिल जायेगा। 3 ) एक पके केले में चाकू से लम्बाई में चीरा लगाकर उसमें एक चौथाई छोटा चम्मच महीन पीसी काली मिर्च भर दें। फिर उसे 2-3 घंटे बाद हल्की आँच में छिलके सहित भून लें। ठंडा होने पर केले का छिलका निकालकर केला खा लें। एक माह में ही दमें में खूब लाभ होगा। 4) लहसुन की दो पिसी कलियां और अदरक की गरम चाय पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है। इस चाय का सेवन सबेरे और शाम करना चाहिए। 5) जब भी दूध पियें हल्दी मिला कर ही पियें। ठण्ड धूल धुएं से बच कर रहें एवम् इन्हेलर का प्रयोग कम करने की कोशिश करें यह एक आदत बन जाती है तो फिर इसके बिना रहा नहीं जाता है। आज बहुत से लोग सांस की बीमारी से ग्रसित हैं और उनके पास कोई हल नहीं हैं, इसलिए ये पोस्ट उनके लिए रामबाण हैं, तो आप इसको ज़रूर शेयर कीजिये। दमा (Asthma) आज के प्रदूषण भरे वातावरण की देन हैं। दमा वस्तुतः एलर्जी के का

बिना मेहनत टमी कम कर सकते हैं ये 6 घरेलू तरीके

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वर्तमान समय में वजन बढ़ना हर उम्र के लोगों में एक आम समस्या है। ऐसे में बढ़ते वजन को कंट्रोल करने के लिए अपनी लाइफ स्टाइल को बदलना तो थोड़ा मुश्किल है। यदि आप भी उन लोगों में से हैं, जो बिना लाइफ स्टाइल बदले वजन कम करना चाहते हैं तो चिंता न करें। कुछ घरेलू नुस्खे ऐसे हैं। जिन्हें अपनाकर बढ़ते वजन को कंट्रोल में लाया जा सकता है।आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही आसान नुस्खे .... 1.  उबला हुआ सेब सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। इससे आपको फाइबर मिलेगा और आयरन भी। इसे पचाने में भी आसानी होती है और मोटापा भी घटता है। 2.  लौकी एक पौष्टिक सब्जी है। इसका जूस पीने से पेट भर जाता है, यह पेट को ठंडक पहुंचाता है। इसे पीने से घंटो तक पेट भरा रहता है और मोटापा भी कंट्रोल होता है। ताजा गाजर के रस में थोड़ा पानी मिलाकर लें। साथ ही, फ्रेंच बीन्स, कटहल, अंजीर, अंगूर, आडू, अमरूद आदि का सेवन करें तो वजन नियंत्रित रहेगा। 4.  अदरक को कूट कर उसमें थोड़ी मिर्च मिला दें और सेवन करें। ये दोनों मसाले मोटापा घटाने के लिए सबसे उत्तम उपचार हैं। 5.  वजन नियंत्रित करने के लिए जहां तक हो सके जंक फूड के सेवन से बचे।

मुल्तानी मिटटी

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साबुन से ज्यादा कारगर है मुल्तानी मिटटी आइये जानते हैं कुछ इसी तरह का राज का घरेलु उपचार मुल्तानी मिटटी और पानी को आपस में मिलाकर एक मिश्रण तैयार करें। इस मिश्रण को तैलीय त्वचा पर लगाएं। पूरी तरह सूखने के बाद इसे धो लें। यह सच है कि आप चाहकर भी अपनी लाइफस्टाइल नहीं बदल सकते और न ही ऎसी चीजों को छोड़ सकते हैं जो आपकी जीवनशैली का हिस्सा बन चुकी हैं। लेकिन आप सचेत रह सकते हैं और खतरों को कम कर सकते हैं। आखिर कब हम पूर्ण स्वास्थ्य को प्राप्त कर पाएंगे? इसका जवाब खोजने के लिए हमें "बैक टू बेसिक्स" के सिद्धांत पर काम करना होगा। हमें फिर से कुदरत के करीब जाना होगा- मुलतानी मिट्टी के अनोखे उपयोग जो त्वचा को कोमल और दमकता बनाएं- यदि आपकी त्वचा आॅयली है तो आप मुल्तानी मिट्टी में पुदीना की पत्तियों का पेस्ट और दही को मिलाकर अच्छे से मिला लें और इस पेस्ट को चेहरे से गर्दन तक लगाएं। और आधे घंटे तक तब तक रहने दें जब तक पेस्ट पूरी तरह से न सूख जाए। इसके बाद गुनगुने पानी से चेहरे को धो लें। यह चेहरे की चिकनाई को खत्म करता है। यदि मुंहासों से परेशान हो तो मुल्तानी मिट्टी को पानी में भिगोकर पे

आदिवासी नुस्खे: गंजापन दूर करने के साथ ही ताकत बढ़ाती है, ये दाल

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उड़द के बीजों से मिलने वाली दाल भारतीय किचन का एक प्रमुख हिस्सा है। इसकी खेती पूरे भारत में होती है। छिलकों वाली उड़द को काली उड़द और बगैर छिलकों की उड़द को सफेद उड़द के नाम से जाना जाता है। उड़द का वानस्पतिक नाम विग्ना मुंगो है। इसको एक बहुत पौष्टिक दाल के माना जाता है। छिलकों वाली उड़द की दाल में विटामिन, खनिज लवण खूब पाए जाते हैं। साथ ही, कोलेस्ट्रॉल नगण्य मात्रा में होता है। इसमें कैल्शियम, पोटेशियम, लौह तत्व, मैग्नेशियम, मैंगनीज जैसे तत्व आदि भी भरपूर पाए जाते है। यही कारण है कि आदिवासी अंचलों में इसे बतौर औषधि कई हर्बल नुस्खों में उपयोग में लाया जाता है।चलिए आज जानेंगे उड़द से जुडे कुछ आदिवासी हर्बल नुस्खों के बारे में.. 1.  दुबले लोग यदि छिलके वाली उड़द दाल का सेवन करें तो यह वजन बढाने में मदद करती है। अपनी दोनो समय के भोजन में उड़द दाल का सेवन करने वाले लोग अक्सर वजन में तेजी से इजाफा देख सकते हैं। आदिवासी जानकारी के अनुसार इसका नियमित सेवन सेहत दुरुस्त करने के अलावा वजन बढाने में सहायक होता है। 2.  छिलकों वाली उडद की दाल को एक सूती कपडे में लपेट कर तवे पर गर्म करें। इससे जोड दर्द से परे

आयोडीन क्या है और क्या होता है अगर नही खाते है तो

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पर्याप्त मात्रा में आयोडीन युक्त खाद्य-पदार्थ खायें/केवल आयोडीन युक्त लवण का ही उपयोग करें अवटुहॉर्मोन की संरचना के लिये आयोडीन की आवश्यकता होती है। शरीर की बढ़त तथा विकास के लिये अवटु हॉर्मोन आवश्यक होते हैं। आयोडीन की अपर्याप्तता घेंघे (गलगंड), अवटु ग्रंथि की वृद्धि, की ओर ले जाती है। आयोडीन की अपर्याप्तता से उत्पन्न रोगों (विकारों) का मुख्य कारण आहार तथा जल में आयोडीन का अभाव होता है। गर्भावस्था की अवधि में आयोडीन की अपर्याप्तता होने के फलस्वरू प मृत प्रसव, गर्भपात तथा अवटुवामनता होती है। आयोडीन युक्त लवण का उपयोग पर्याप्त आयोडीन अंतर्ग्रहण सुनिश्चित करता है। खाये गये सभी खाद्य पदार्थ पूर्णत्र स्वच्छ तथा निरापद होने चाहिये उत्तम स्वास्थ्य रखने के लिये निरापद तथा उत्तम गुणता युक्त खाद्य पदार्थ खाना महत्वपूर्ण है। खाद्य-पदार्थों में, प्रकृति में पाये जाने वाले आविष, वातावरणीय संदूषक तथा अपमिश्रणीय वस्तुएँ विद्यमान होना स्वास्थ्य के लिये खतरनाक होता है। असंरक्षित खाद्य-पदार्थ खाना, आहार द्वारा वाहित रोगों की ओर ले जाता है। खाद्य-पदार्थ केवल विश्वसनीय स्रोतों से ध्यानपूर्वक जाँच-परख कर