महिलाओं के यौन रोग :-योनि रोग (VAGINAL DISEASES)
योनि रोग (VAGINAL DISEASES) कारण: विरुद्ध आहार, बासी खाना खाना, माहवारी का कष्ट के साथ आना (दुष्टार्त्तव) और दैवेच्छा का होना, माता-पिता के वीर्य-दोषों के कारण से भी उनकी कन्या को योनि की बीमारियों का शिकार बनना पड़ता है। लक्षण: आयुर्वेद में योनि रोग 20 प्रकार के बताए गये हैं, योनि रोग को मुख्य रूप से चार भागों में बांटा गया है जैसे- पहला वातज, दूसरा पित्तज, तीसरा कफज, और चौथा सन्निपातज आदि। वातज (वायु से दूषित रोग के लक्षण) : योनि से झाग मिश्रित खून का ज्यादा कष्ट के साथ गिरने को `उदावर्त्ता´ कहते हैं। रजोधर्म (मासिक धर्म) का न होना या अशुद्ध या ठीक समय पर न होने को `वन्ध्या´ कहते हैं। योनि के अन्दर एक प्रकार की पीड़ा हर समय बनी रहने को `विलुप्ता´ कहते हैं। मैथुन के समय योनि के अन्दर बहुत पीड़ा का होना `परिप्लुता´ कहलाता है। योनि का कठोर होना तथा उसमें दर्द और नोचने जैसा दर्द होने को `वातला´ कहते हैं। पित्तज (पित्तज से दूषित रोग के लक्षण): मैथुन के बाद पुरुष के वीर्य और स्त्री का मासिक-धर्म (रज) दोनों का बाहर निकाल देने वाली योनि को `वामनी´ कहते हैं। योनि से